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<poem>
जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां,
के वड्डे हो के डाके मारदा, जग्गया -2
के तुर परदेस गयों वे बूहा वज्जया,
जग्गे जिन्दे नू सूली उत्ते टंगया,
ते भैण दा सुहाग चुमके, मखना,
के क्यों तुर चले गयों बेडा चखना,
के माँ दा मार दित्ताइ पुत्त सूरमा,