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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शांति सुमन |संग्रह= }} <poem> पिता किसान अनपढ़ माँ बे…
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{{KKRachna
|रचनाकार=शांति सुमन
|संग्रह=
}}
<poem>
पिता किसान अनपढ़ माँ
बेरोजगार हैं हम
जाने राम कहाँ से होगी
घर की चिन्ता कम
आँगन की तुलसी सी बढ़ती
घर में बहन कुमारी
आसमान में चिड़िया सी
उड़ती इच्छा सुकुमारी
छोटा भाई दिल्ली जाने का भरता है दम ।
पटवन के पैसे होते
तो बिकती नहीं जमीन
और तकाजे मुखिया के
ले जाते सुख को छीन
पतले होते मेड़ों पर आँखें जाती है थम ।
जहाँ-तहाँ फटने को है
साड़ी पिछली होली की
झुकी हुई आखें लगती हैं
अब करुणा की बोली सी
समय-साल खराब टँगे रहते बनकर परचम ।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=शांति सुमन
|संग्रह=
}}
<poem>
पिता किसान अनपढ़ माँ
बेरोजगार हैं हम
जाने राम कहाँ से होगी
घर की चिन्ता कम
आँगन की तुलसी सी बढ़ती
घर में बहन कुमारी
आसमान में चिड़िया सी
उड़ती इच्छा सुकुमारी
छोटा भाई दिल्ली जाने का भरता है दम ।
पटवन के पैसे होते
तो बिकती नहीं जमीन
और तकाजे मुखिया के
ले जाते सुख को छीन
पतले होते मेड़ों पर आँखें जाती है थम ।
जहाँ-तहाँ फटने को है
साड़ी पिछली होली की
झुकी हुई आखें लगती हैं
अब करुणा की बोली सी
समय-साल खराब टँगे रहते बनकर परचम ।
</poem>