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Kavita Kosh से
पर कल आने वाली सोलह फरवरी
फिर फेंक देगी मुझको अपने अँधेरे में
इस छोटे शहर की बड़ा बड़ी लगनेवाली रात
में उतरेगा तुम्हारा बचपन
तुम्हारी हँसी, तुम्हारी जिद
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16 फरवरी, 1985