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गोरी दियां झान्जरां / पंजाबी

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{{KKGlobal}}{{KKLokRachna|रचनाकार=अज्ञात}}{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=पंजाबी}}<poem>गोरी दियां झान्जरां बुलौन्दिया गैयाँ...
गोरी दियां ,
गलियां दे विच दंड पौन्दियाँ गैयाँ...
अशिका दे लहू च नहौन्दिया गयेइअण .
गोरी दियां .........................................!
सांब के तू रख लै ननाने गोरिये ,
रूप दा सिंगार जालीदार डोरिये,
नूरपुरी कोल शर्माऊ नदीय गेयान .
गोरी दियां झंज्रण ...........................!
गलियां दे विच दंड पौन्दिया गयें . 
</poem>