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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा<ref>दवा का आभारी</ref> न हुआ
मैं न अच्छा हुआ, बुरा न हुआ
दर्द मिन्नतकश-ए-दवा न हुआ<br>जमा करते हो क्यों रक़ीबों को?मैं न अच्छा इक तमाशा हुआ, बुरा गिला न हुआ<br><br>
जमा करते हो क्यों रक़ीबों को<br>हम कहां क़िस्मत आज़माने जाएं?इक तमाशा हुआ गिला न हुआतू ही जब ख़ंजर-आज़मा<brref>ख़ंजर चलाने वाला<br/ref>न हुआ
हम कहाँ क़िस्मत आज़माने जायें<br>कितने शीरीं हैं तेरे लब! कि रक़ीबतू ही जब ख़ंजर आज़मा गालियां खाके बे-मज़ा न हुआ<br><br>
कितने शीरीं हैं तेरे लब के रक़ीब<br>है ख़बर गर्म उनके आने कीगालियाँ खा के बेमज़ा आज ही घर में बोरिया न हुआ<br><br>
है ख़बर गर्म उनके आने कीक्या वो नमरूद<brref>एक प्राचीन राजा जो अपने-आप को खुदा कहता था</ref> की ख़ुदाई थीआज ही घर में बोरिया न हुआबंदगी<brref>पूजा<br/ref>में मेरा भला न हुआ
क्या वो नमरूद जान दी, दी हुई उसी की ख़ुदाई थी<br>बंदगी में मेरा भला हक़ तो ये है कि हक़ अदा न हुआ<br><br>
जान दीज़ख़्म गर दब गया, दी हुई उसी की थी<br>हक़ तो यूँ है के हक़ अदा लहू हुआथमाकाम गर रुक गया रवां<brref>चलना,चालू<br/ref>न हुआ
ज़ख़्म गर दब गया लहू न थमारहज़नी<brref>डाका</ref> है कि दिल-सितानी<ref>दिल की चोरी</ref> है?काम गर रुक गया लेके दिल दिलसितां<ref>प्रेमी</ref> रवा न हुआ<brref>राज़ी<br/ref>न हुआ
रहज़नी है कि दिलसितानी है<br>ले के दिल, दिलसिताँ रवा न हुआ<br><br> कुछ तो कहिये पढ़िये कि लोग कहते हैं<br>"आज 'ग़ालिब' ग़ज़लसरा <ref>ग़ज़ल सुनाने वाला</ref> न हुआ "<br><br/poem>{{KKMeaning}}
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