भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKRachna
|रचनाकार=अहमद फ़राज़
|संग्रह=दर्द आशोब / फ़राज़ ; : ज़िंदगी!ऐ ज़िंदगी! / फ़राज़
}}
<poem>
अब के रुत बदली तो ख़ुशबू का सफ़र देखेगा कौन
ज़ख़्म फूलों की तरह महकेंगे पर देखेगा कौन
देखना सब रक़्स-ए-बिस्मल में मगन हो जायेंगे जाएँगे
जिस तरफ़ से तीर आयेगा उधर देखेगा कौन