भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
कमसिन कम्मो ने
बुढाती निम्मो के गले में
उसने मुझे रख ही लिया!!!'
झटके से उसे अपने से
'मुए को रसभरी ककड़ी
मुफ्त की मिली.......'
कम्मो की सपनीली आँखों ने कहा,
'मैं उससे प्रेम करती हूँ.... और...
मेरा प्रेम प्रतिदान नहीं मांगता..माँगता...'
निम्मो बोली, ' सही है लेकिन,
दुनिया तो तुझे रांड ही कहेगी,
तू कभी उसकी बीवी नहीं बनेगी