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|रचनाकार=ग़ालिब|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाये है
मैं उसे देखूँ, भला कब मुझसे देखा जाये है