भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
[[Category:गज़ल]]
<Poem>
मुहब्बत में वफ़ादारी से बचिये
जहाँ तक हो अदाकारी से बचिये
हर एक सूरत भली लगती है कुछ दिन
लहू के की शोबदाकारी <ref>धोखा</ref> से बचिये
शराफ़त आदमियत दर्द-मन्दी
ज़रूरी क्या हर एक महफ़िल में आना
तक़ल्लुफ़ की रवादारी <ref>उदारता</ref> से बचिये
बिना पैरों के सर चलते नहीं हैं
बुज़ुर्गों की समझदारी से बचिये
</poem>
{{KKMeaning}}