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|रचनाकार= जावेद अख़्तर
}}
[[Category:गज़लग़ज़ल]]<poem>जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया <br>उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया <br><br>
उस से उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी <br>ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी दे गया <br><br>
सब हवायें ले गया मेरे समंदर की कोई <br>और मुझ को एक करती कश्ती बादबानी दे गया <br><br>
ख़ैर मैं प्यासा रहा पर उस ने इतना तो किया <br>मेरी पलकों की कतारों को वो पानी दे गया <br><br/poem>
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