भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|रचनाकार=जावेद अख़्तर
}}
[[Category:ग़ज़ल]]<poem>तमन्ना फिर मचल जाए , अगर तुम मिलने आ जाओ।जाओयह मौसम ही बदल जाए , अगर तुम मिलने आ जाओ।जाओ
मुझे गम है कि मैने जिन्दगी में कुछ नहीं पाया
ये गम ग़म दिल से निकल जाए , अगर तुम मिलने आ जाओ।जाओ
नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे
ज़माना मुझसे जल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ