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Kavita Kosh से
# [[घर हमारा जो न रोते भी तो वीरां होता / ग़ालिब]]
# [[न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता / ग़ालिब]]
# [[यक़ ज़र्रा-ए-जमीं नही ज़मीं नहीं बेकार बाग़ का / ग़ालिब]]
# [[वो मेरी चीन-ए-जबीं से ग़मे-पिनहां समझा / ग़ालिब]]
# [[फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया / ग़ालिब]]