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सावन सूखि मई सब काया<br>
देखु भक्त कलियुग की माया,<br>
घर की खीर, खुर–खुरी खुरखुरी लागइ<br>
बाहर की भावइ गुड़-लइया।<br>
काहू सौतिन...।।<br><br>