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Kavita Kosh से
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''(१९७७, "लन्दन पुल" नामक पुस्तक से)''
जब अनुभूति तर्क में बन्धे
मेरी चाह इतनी है
कि चाह ही इसकी पूर्ति है। ''(१९७७, "लन्दन पुल" नामक पुस्तक से)''