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Kavita Kosh से
रात के सन्नाटे को
मौन के मंत्र को भेदते हुए
राजा बिक्रमार्कविक्रमार्क
फिर जंगल में गए
रुके
पेड़ निहारा
और कंधे पर लाद कर
श्मशान को चल दिये
दसों दिशाओं में बिखर जाएगा
तब विक्रमाक विक्रमार्क बोला:हे बेताल वेताल !
तुम्हारे प्रश्न की ज़मीन में
उत्तर का बीज पहले से पड़ा है
शब्दों का रथ हाँक रहे हो
हे बेताल वेताल !
शब्द तो मात्र एक रस्ता है
जबकि मौन एक मंज़िल है
विक्रमार्क का मौन टूटा
और वापिस जाकर
पेड़ पर लटक गया