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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नन्दल हितैषी }} {{KKCatKavita}} <poem> कछार के / इस टीले के नीचे …
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{{KKRachna
|रचनाकार=नन्दल हितैषी
}}
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<poem>
कछार के / इस टीले के नीचे
बबूल के कुछ ठूँठ ......
आक्रोश में
तमतमाया सूरज.
बेवाई
पाँव में नहीं
सिर में फट रही है.
नागफनी की परछाई भी
एक गौरैय्ये को
भली लग रही है.
जिसकी छाँव में
काँटॆ ही काँटॆ?
</poem>
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|रचनाकार=नन्दल हितैषी
}}
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<poem>
कछार के / इस टीले के नीचे
बबूल के कुछ ठूँठ ......
आक्रोश में
तमतमाया सूरज.
बेवाई
पाँव में नहीं
सिर में फट रही है.
नागफनी की परछाई भी
एक गौरैय्ये को
भली लग रही है.
जिसकी छाँव में
काँटॆ ही काँटॆ?
</poem>