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हवा बही जब बड़े ज़ोर से
 
बरसी वर्षा झम-झमा-झम
 मन में उठी कुछ ऎसी ऐसी झंझा 
दिल थाम कर रह गए हम
 
गरजे मेघा झूम-झूम कर
 
जैसे बजा रहे हों साज
 
ता-ता थैया नाचे धरती
 
ख़ुशियाँ मना रही वह आज
 
भीग रही बरखा के जल में
 
तेरी कोमल चंदन-काया
 
मन मेरा हुलस रहा, सजनी
 
घेरे है रति की माया
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