भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
:सागर-संगम में है सुख,
:जीवन की गति में भी लय;
:मेरे क्षण-क्षण के लघु-कण :जीवन-लय से हों मधुमय।
रचनाकाल: जनवरी’ १९३२
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits