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[[अगर आदमी ख़ुद से हारा न होता / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' ]]
[[जब से हम लोग ज़मीं पे हैं / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' ]]
[[मुख़ातिब बस ग़मे-दिल हो तो ऐसा हो भी सकता है / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' ]]
[[बुझा दो चिराग़े-मुहब्बत मुझे इन फ़रेबी उजालों की क्या है ज़रूरत , / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' ]]
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