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{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
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आसरा मत ऊपर का देख,

सहारा मत नीचे का माँग,

यही क्‍या कम तुझको वरदान

कि तेरे अंतस्‍तल में राग;


:::राग से बाँधे चल आकाश,

:::राग से बाँधे चल पाताल,

:::धँसा चल अंधकार को भेद

:::राग से साधे अपनी चाल!
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