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पत्थरों में भी बनाता राह पानी देखिए , इस तरह बढ़ती है आगे ज़िन्दगानी देखिए !
झूठ की बौछार से हैं हर्फ़ जिसके धुल गए , आँख में सच्चाईयों सच्चाइयों की वो कहानी देखिए !
सर्दियों में धूप उनकी , गर्मियों में छाँव भी , सौंप बैठे हैं जिन्हें हम हुक्मरानी देखिए !
बेबसी , बेचारगी होगी बुढ़ापे के लिए , रोक हाक़िम कब सके जोशे-जवानी देखिए !
आसमानों से हैं लेते ज़लज़लों के जायज़े , इस ज़मीं के साहिबों की बदगुमानी देखिए !
हुक़्मरां ऐलान पुल का इसलिए हैं कर गए , सर के ऊपर से कहीं गुज़रे न पानी देखिए !  चार मुर्दे तीन परचम दो कदम इक शोर-सा , इन्क़िलाबों की नहीं है यह रवानी देखिए !  छोड़ मेहनत पर भरोसा हाथ दिखलाता फिरे , यूँ नहीं किस्मत ‘मधुर’ को आज़मानी देखिए ! 
चार मुर्दे तीन परचम दो कदम इक शोर-सा ,
इन्क़िलाबों की नहीं है यह रवानी देखिए !
छोड़ मेहनत पर भरोसा हाथ दिखलाता फिरे ,
यूँ नहीं किस्मत ‘मधुर’ को आज़मानी देखिए !
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