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|रचनाकार=कन्हैयालाल नंदन
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नदी की कहानी कभी फिर सुनाना,
बड़ा जानलेवा है ये दरमियाना
मुहबत मुहब्बत का अंजाम हरदम यही थाभवर भँवर देखना कूदना डूब जाना।
अभी मुझ से फिर आप से फिर किसी
मियाँ ये मुहबत मुहब्बत है या कारखाना।
ये तन्हाईयाँ, याद भी, चान्दनी भी,
गज़ब का वज़न है सम्भलके उठाना।
</poem>
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