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जल फुहार बौछारें धारें गिरतीं झर झर।
आँधी हर हर करती, दल मर्मर तरु चर् चर्
दिन रजनी औ पाख बिना रारे तारे शशि दिनकर।
पंखों से रे, फैले फैले ताड़ों के दल,