भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatKavita}}
<poem>
'''उड़ीसा : पांच कविताएं'''(उड़ीसा में तूफान तूफ़ान आने पर)प'''
सो रहा जहान था
उड़ीसा अनजान था
उड़ीसा लड़ता रहता है
बच गए हनुमान जी
अकेले हनुमान जी
अकेले हनुमान जी
क्या कसूर है इस आदमी का
क्या कसूर है इस आदमी का?
उधर आया है तूफान
भूखे हैं सैकड़ों इंसान
भूखों तक अन्न नहीं पहुंचा
उड़ीसा में आया तूफान
लोगों में बाकी थी इन्सानियत
वे बेचते पाए गए
दवाइयां, चावल, दाल,
'''रचनाकाल : नवम्बर 99'''
</poem>