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|रचनाकार= उदयप्रकाश|संग्रह= एक भाषा हुआ करती है / उदय प्रकाश}}
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<poem>
सड़क पर
अपने सींग पर टांगे टाँगे हुए आकाश
पृथ्वी को अपने खुरों के नीचे दबाए अपने वजन भर
आंधी आँधी में उड़ जाने से उसे बचाते हुए
बौछारें उसके सींगों को छूने के लिए
बचाने के लिए हवा में फड़फड़ाता है
बैल को मैं अपने छाते के नीचे ले आना चाहता हूंहूँ
आकाश , पृथ्वी और उसे भीगने से बचाने के लिए
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