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Kavita Kosh से
आह्लाद, प्रेम औ’ यौवन का
नव स्वर्ग: सद्य सौन्दर्य-सृष्टि;
मंजरित प्रकृति, मुकुलित दिगन्त,
कूजन-गुंजन की व्योम सृष्टि!