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लेखक: [[भवानीप्रसाद मिश्र]]
[[Category:भवानीप्रसाद मिश्र]]
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तुमने जो दिया है वह सब<br>
हवा है प्रकाश है पानी है<br>
छन्द है गन्ध है वाणी है<br>
उसी के बल पर लहराता हूँ<br>
ठहरता हूँ बहता हूँ झूमता हूँ<br>
चूमता हूँ जग जग के काँटे<br>
आया है जो कुछ मेरे बाँटे<br>
देखता हूँ वह तो सब कुछ है<br>
सुख दु:ख लहरें हैं उसकी<br>
मैं जो कहता हूँ<br>
समय किसी स्टेनो की तरह<br>
उसे शीघ्र लिपि में लिखता हूँ<br>
और फिर आकर<br>
दिखा जाता है मुझे<br>
दस्तखत कर देता हूँ<br>
कभी जैसा का तैसा उसे<br>
विस्मृति के दराज में धर देता हूँ।<br>
तुमने मुझे जो कुछ दिया है वह सब<br>
हवा है प्रकाश है पानी है।<br><br>
[[Category:भवानीप्रसाद मिश्र]]
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तुमने जो दिया है वह सब<br>
हवा है प्रकाश है पानी है<br>
छन्द है गन्ध है वाणी है<br>
उसी के बल पर लहराता हूँ<br>
ठहरता हूँ बहता हूँ झूमता हूँ<br>
चूमता हूँ जग जग के काँटे<br>
आया है जो कुछ मेरे बाँटे<br>
देखता हूँ वह तो सब कुछ है<br>
सुख दु:ख लहरें हैं उसकी<br>
मैं जो कहता हूँ<br>
समय किसी स्टेनो की तरह<br>
उसे शीघ्र लिपि में लिखता हूँ<br>
और फिर आकर<br>
दिखा जाता है मुझे<br>
दस्तखत कर देता हूँ<br>
कभी जैसा का तैसा उसे<br>
विस्मृति के दराज में धर देता हूँ।<br>
तुमने मुझे जो कुछ दिया है वह सब<br>
हवा है प्रकाश है पानी है।<br><br>
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