भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=विजय वाते |संग्रह= ग़ज़ल / विजय वाते }} <poem> आओ मिल के दो घ…
{{KKRachna
|रचनाकार=विजय वाते
|संग्रह= ग़ज़ल / विजय वाते
}}
<poem>
आओ मिल के दो घड़ी संसार की बातें करें,
कुछ करें शिकवे-गिले कुछ प्यार की बातें करें ।
हो चुका जो हो रहा है फ़िक्र उसकी ख़ूब की,
इन सभी से बन रहे आसार की बातें करें ।
जो मिला जब-जब मिला दुनिया के गम ले कर मिला,
आज मन है आपसे घरबार की बातें करें ।
अब बड़े घर मे बुजुर्गों के नहीं तामीरदार,
आओ मिल के उनसे कुछ उपचार की बातें करें ।
छत के गुण गाते हैं हम जो दे रही है आसरा,
छत टिकी काँधे पे जिस दीवार की बातें करें ।
</poem>
|रचनाकार=विजय वाते
|संग्रह= ग़ज़ल / विजय वाते
}}
<poem>
आओ मिल के दो घड़ी संसार की बातें करें,
कुछ करें शिकवे-गिले कुछ प्यार की बातें करें ।
हो चुका जो हो रहा है फ़िक्र उसकी ख़ूब की,
इन सभी से बन रहे आसार की बातें करें ।
जो मिला जब-जब मिला दुनिया के गम ले कर मिला,
आज मन है आपसे घरबार की बातें करें ।
अब बड़े घर मे बुजुर्गों के नहीं तामीरदार,
आओ मिल के उनसे कुछ उपचार की बातें करें ।
छत के गुण गाते हैं हम जो दे रही है आसरा,
छत टिकी काँधे पे जिस दीवार की बातें करें ।
</poem>