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Kavita Kosh से
शनासा<ref>परिचित</ref> बाग़ को जाता हुआ ख़ुशबू भरा रस्ता
हमारी राह तकता है
तुलू-ए-माह<ref>सूर्योदय</ref> की साअत<ref>्समय समय या घड़ी</ref>
हमारी मुंतज़िर है
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