भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |संग्रह=चाहते तो... / रमेश कौशिक }} <poem>'''र…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=चाहते तो... / रमेश कौशिक
}}
<poem>'''रोटी और फूल'''
कभी कन्फ्यूशियस ने कहा था-
यदि तुम्हारे पास
पैसे हैं दो
एक से खरीदो-
रोटी
और दूसरे से फूल
रोटी से मिलेगा
जीवन
और जीने की कला
सिखायेगा फूल
लेकिन इतने बाद
आदम का बच्चा
वह बात गया भूल
अब दोनों ही पैसों की लेता बन्दूक
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=चाहते तो... / रमेश कौशिक
}}
<poem>'''रोटी और फूल'''
कभी कन्फ्यूशियस ने कहा था-
यदि तुम्हारे पास
पैसे हैं दो
एक से खरीदो-
रोटी
और दूसरे से फूल
रोटी से मिलेगा
जीवन
और जीने की कला
सिखायेगा फूल
लेकिन इतने बाद
आदम का बच्चा
वह बात गया भूल
अब दोनों ही पैसों की लेता बन्दूक