भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आख़िर कब तक / रमेश कौशिक

896 bytes added, 11:04, 27 जून 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |संग्रह=चाहते तो... / रमेश कौशिक }} <poem> कब …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=चाहते तो... / रमेश कौशिक
}}
<poem>
कब तक
हम खाइयों में रहेंगे
आखिर कब तक

कब तक
हम अपनी कब्रों की ओट से
टॉप के गोले दागेंगे
आखिर कब तक

कब तक
हमारी बीवियाँ
करती रहेंगी याद
और हम बगल में बंदूक दाबे रहेंगे
आखिर कब तक

कब तक किसी आदमी को मारने का दर्द
जो आत्महत्या के दर्द से बदतर है
हम अपने दिलों पर ढोते रहेंगे
आखिर कब तक
</poem>
171
edits