भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सच का संधान / कर्णसिंह चौहान

856 bytes removed, 14:43, 1 जुलाई 2010
चिड़िया की आंख सा
सच का संधान
 
द्रुज्बा
 
हमारी तुम्हारी दोस्ती के नाम
द्रुज्बा के इस घर पर
मेज की दराज में
छोड़े जा रहा हूँ ये डायरी
इसमें दर्ज़ हैं
सोफिया के आखिरी साल।
 
यह शहर जब
बन गया हो पैरिस
और तुम्हें
सोफिया की याद सताए
तब तुम यहाँ आना
पन्नों की धूल छुड़ाना
इनमें मिलेगा
तुम्हारे घर का नक्शा
ऐशिया की लिपि में खिंचा हुआ।
 
द्रुज्बा : सोफिया की एक नई बस्ती
<poem>
681
edits