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काश अपनी ज़िन्दगी में हम ये मंज़र देखते
अब सर-ए-तुर्बत कोई महशर-खिराम आया तो क्या आया
[तुर्बत = tombमक़बरा; महशर = day of judgementक़यामत; खिराम = चलने का तरीका]
सांस उखड़ी आस टूटी छा गया जब रंग-ए-यास
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