भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatKavita}}
<poem>
'''डविल्स थ्रोट<ref>ग्रीक सीमा पर एक भयकर गुफ़ा में उफनती नदी किंवदतियों भरी</ref>'''
खेल रही है नदी
भंवरो भँवरो में
चक्कर काट रही है नदी
खेल में दिपती
दो खंजन आंखेंखँजन आँखेंभंवों भवों के इशारे परखांडे खाँडे की धार नापते पांव पाँव
बुला रही है नदी ।
बाहर भीतर अनहद
घुप्प अंधेरे अँधेरे में
छू रही है नदी ।
जो भी यहां यहाँ आया
डूबा
कभी मिला नहीं ।
ऊँचे पहाड़ के बंद उदर में
गरजती हो तुम
गर्जते गरजते हैं सौ पहाड़
ग्रीस का सीना सीमा पार
पत्थरों पर खुदे हैं
फिर भी बार-बार आते हैं ।
डविल्स थ्रोट : ग्रीक सीमा पर एक भयकर गुफा में उफनती नदी किंवदतियों भरी{{KKMeaning}}</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,606
edits