भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन डंगवाल |संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल }} …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
}}
<poem>

लाम पर गई है पलटन

बैरकें सूनी पड़ी हैं

निर्भ्रान्‍त और इत्‍मीनान से
सड़क पार कर रही बन्‍दरों की एक डार

एक शैतान शिशु बन्‍दर
चकल्‍लस में बार-बार
अपनी मां की पीठ पर बैठा जा रहा
डांट भी खा रहा बार-बार

छावनी एक साथ कितनी निरापद
और कितनी असहाय
अपने सैनिकों के बगैर
00
778
edits