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Kavita Kosh से
बह गए बूँद-बूँद
भिगो गए जो जगह
उस पर पाय्दान पायदान खिसका दिया गया
***
लड़की होने के दिन से ही
विद्युत की चकाचौंध समान नहीं
गहराते जाते अँधेरे में
सूरज की तरह / जन्मते-मरते
जलते तपते
जो रोशनी हो जाता है.
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