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Kavita Kosh से
तुमने गुज़रा हुआ कल याद दिलाया होगा
जुज़ <ref>सिवा, अतिरिक्त</ref> हमारे ऐ सुलगती हुई तन्हाई तुझे
ऐसे सीने से भला किसने लगाया होगा
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