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{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
कहां से आती है इतनी
कार्बन मोनोआक्साइड
कि बर्फ पिघलती है
समय से पहले
धंसकते है पहाड़ धीरे-धीरे
धीरे-धीरे खत्म होता है जीवन
00
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
कहां से आती है इतनी
कार्बन मोनोआक्साइड
कि बर्फ पिघलती है
समय से पहले
धंसकते है पहाड़ धीरे-धीरे
धीरे-धीरे खत्म होता है जीवन
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