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{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
तमाम कोशिशों के बाद
धरती नहीं पचा पा रही
नामुराद प्लास्टिक
और अब परमाणु कचरे के स्वागत में
कितनी व्यग्र यह सरकार
कोपलों और फूलों की क्या कहें
नन्हें बच्चों के जीवन के बारे में
सोचना कब बन्द हुआ
00
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|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
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तमाम कोशिशों के बाद
धरती नहीं पचा पा रही
नामुराद प्लास्टिक
और अब परमाणु कचरे के स्वागत में
कितनी व्यग्र यह सरकार
कोपलों और फूलों की क्या कहें
नन्हें बच्चों के जीवन के बारे में
सोचना कब बन्द हुआ
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