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{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>

एस.एम.एस. का
एक वायदा कारोबार खुला है

इसमें स्त्रि‍यों
और सरदारों की मासूमियत को
फूहड़ लतीफों में बेचा जा रहा है

हंसने वाले महाशयों
सुनो !
इस हंसी के पार्श्‍व में
किसी के रोने की आवाज आ रही है
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