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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= शास्त्री नित्यगोपाल कटारे |संग्रह=}}{{KKCatKavita‎}}<Poem> मत बिफर नर्मदा मैया अब उतर नर्मदा मैया । ये तेरे विकराल रूप से मच गई ता ता थैया।।थैया ।।
खतरे को एलान सुनो सब निकर निकर के भागे जित देखो उत पानी पानी महाप्रलय सो लागे।लागे । देखत देखत घरई डूब गओ छत पै चल रई नैया।नैया । मत बिफर नर्मदा मैया अब उतर नर्मदा मैया ।
देख जरा वीरान हो गये ये तेरे तट वाले भर बारिश में बेघर हो गये खाने के भये लाले राशन पानी गओ पानी में बह गये नगद रुपैया।रुपैया । मत बिफर नर्मदा मैया अब उतर नर्मदा मैया ।
डूबे खेत सबई किसान की भई पूरी बरबादी सड़ गये बिन्डा अब हुइहै कैसे बिटिया की शादी थालत भैंस कितै बिल्ला गई कितै दुधारू गैया।गैया । मत बिफर नर्मदा मैया अब उतर नर्मदा मैया ।
कछू पेड़ पर सात दिनों से बैठे भूखे प्यासे डरे डरे सहमे सहमे से बच्चे पूछें माँ से कहाँ चलो गओ कक्का अपनों कहाँ चलो गओ भैया।भैया । मत बिफर नर्मदा मैया अब उतर नर्मदा मैया ।
हेलीकाप्टर को एरो सुन करके बऊ घबरा रई कह रई बेटा मोहे लगत है मनों मौत मँडरा रई सांप साँप देख नत्थू चिल्लानो हाय दैया हाय दैया।दैया । मत बिफर नर्मदा मैया अब उतर नर्मदा मैया ।
अबहिं अबहिं तो भओथो गरमी में गोपाल को गोनों॔गोनों नओ सुहाग को जोड़ा बह गओ और दहेज को सोनो बाढ़ शिविर में सिमटी सिमटी बैठी नउ दुल्हैया।दुल्हैया । मत बिफर नर्मदा मैया अब उतर नर्मदा मैया ।
बुरे फसे पोलिंग आफीसर चिन्ता घर वालों में डरे रिटर्निंग आफीसर से घुसे नदी नालों में पीठासीन बागरा पहुंचो पेटी सोन तलैया।तलैया । मत बिफर नर्मदा मैया अब उतर नर्मदा मैया ।
रात दिना सेवा में लग गये बचे पड़ोसी सारे विपदा में भी राजनीति दिखला रहे कुछ बेचारे चार पुड़ी में वोट मांग रहे यै नेता छुटभैया । मत बिफर नर्मदा मैया अब उतर नर्मदा मैया ।</poem>
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