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''' सरोजिनी नगर के मुर्दाबाजार से प्रकृति-वर्णन '''
नगर की पेट में
पला-पुसा नटखट बम
खेल-खेल में यहीं बज उठा था--
छोड़ता हुआ फुलझड़ियों से
आदम खून की भभक ...
सांध्य बेला
हफ़्तों-हफ़्तों से
खिलने को किलकती कलियाँ
औचक ही खिलकर मुरझा गईं ,
शहर की प्रकृति को
फालतू में बदनाम कर गईं