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Kavita Kosh से
स्वदेश छोड / विदेश पहुँचा
देश जितना ही लगा तुम्हारा प्रेम
भू-तल छोड छोड़ / चाँद पर पहुँचा
पृथ्वी जितना ही लगा तुम्हारा प्रेम ।