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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=अशोक चक्रधर]][[Category:कविताएँ]][[Category:अशोक चक्रधर]]}}
तलब होती है बावली,<br>
दुकानदार बोला-<br>
इसका जवाब यों है<br>
कि बेचते तो हमलोटा हम लोटा भी हैं,<br>और बेचतेजमालगोटा बेचते जमालगोटा भी हैं,<br>
अगर इन्हें ख़रीदकर<br>
आप हमें निहाल करेंगे,<br>
तो क्या यहीं<br>
उनका इस्तेमाल करेंगे?<br><br>