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Kavita Kosh से
कुछ मनचाहे द्वंद्वों के
मधुमासी फुहार
आकार-प्रकार
प्रेम में सागर
डूबती, डूबती ही जाएगी
श्वांस के अंतिम उच्छवास तक--
अनियंत्रित दुश्चिन्ताओं के
अश्रुनदीय भंवर में,