भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: झूठ बराबर तप नहीं, साँच बराबर पाप जाके हिरदे साँच है, बैठा-बैठा टा…
झूठ बराबर तप नहीं, साँच बराबर पाप

जाके हिरदे साँच है, बैठा-बैठा टाप

बैठा-बैठा टाप, देख लो लाला झूठा

'सत्यमेव जयते' को दिखला रहा अँगूठा

कहँ ‘काका ' कवि, इसके सिवा उपाय न दूजा

जैसा पाओ पात्र, करो वैसी ही पूजा
60
edits