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|सारणी=रामचरितमानस / तुलसीदास
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<center><font size=51>उत्तर काण्डश्रीगणेशायनमः</font></center><br><brcenter> श्री गणेशाय नमः<brfont size=1>श्रीजानकीवल्लभो विजयते</font></center><br><br><center><font size=6>श्रीरामचरितमानस</font></center><br><br><center><font size=4>सप्तम सोपान</font></center><br><br>(<center><font size=5>उत्तरकाण्ड)</font></center><br><br><span class="shloka">श्लोक<br>
केकीकण्ठाभनीलं सुरवरविलसद्विप्रपादाब्जचिह्नं<br>
शोभाढ्यं पीतवस्त्रं सरसिजनयनं सर्वदा सुप्रसन्नम्।<br>
जहँ तहँ सोचहिं नारि नर कृस तन राम बियोग।।<br>
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चौ0-सगुन होहिं सुंदर सकल मन प्रसन्न सब केर।<br>
प्रभु आगवन जनाव जनु नगर रम्य चहुँ फेर।।<br>
कौसल्यादि मातु सब मन अनंद अस होइ।<br>