भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मान…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
}}
{{KKCatKavita
}}
<poem>
जो लोग
अब तक ग़र्क़ हो चुके हैं
या मारे जायेंगे भविष्य के दंगों में
आइये उनकी याद में
रोप दें कोई फूल
अपने भीतर
ताकि उसकी खुशबू महक सके
वहाँ तक
जहाँ तक इंसानी वजूद की
आख़िरी हद बसती है
2002
<poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
}}
{{KKCatKavita
}}
<poem>
जो लोग
अब तक ग़र्क़ हो चुके हैं
या मारे जायेंगे भविष्य के दंगों में
आइये उनकी याद में
रोप दें कोई फूल
अपने भीतर
ताकि उसकी खुशबू महक सके
वहाँ तक
जहाँ तक इंसानी वजूद की
आख़िरी हद बसती है
2002
<poem>