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भगत सिंह के नाम / मुकेश मानस

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तुम नहीं रहे तो क्या
तुम्हारे विचार तो हैं

जब तक हवा में रवानी रहेगी
सागर में मचलता रहेगा पानी
और पंछियों में बनी रहेगी
उड़ने की चाहत

जब तक आंखों में बचे रहेंगे सपने
और बाज़ुओं में नौजवानी
जब तक बचा रहेगा ये देश
और इसकी कहानी

जब तक लगा रहेगा इंसान
इंसान बने रहने की ज़िद में

तब तक बचे रहेंगे तुम्हारे विचार
तब तक जीवित रहोगे तुम
हमारे भीतर

23मार्च,1990-1992, पुरानी नोटबुक से


<poem>
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