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|रचनाकार=मुकेश मानस
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<poem>
कुछ लोग रामलीला करते हैं
कुछ लोग रामलीला देखते हैं
कुछ लोग
ना तो रामलीला करते हैं
और ना रामलीला देखते हैं
वे रामलीला बेचते हैं
2004
<poem>
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|रचनाकार=मुकेश मानस
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कुछ लोग रामलीला करते हैं
कुछ लोग रामलीला देखते हैं
कुछ लोग
ना तो रामलीला करते हैं
और ना रामलीला देखते हैं
वे रामलीला बेचते हैं
2004
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